नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनावी वादों को लेकर आगाह किया है। इसमें राजनीतिक दलों से कहा गया है कि वह कोई भी खोखला चुनावी वादा न करें। जो भी चुनावी वादा किया जाए उसमें इस बात का ख्याल रखा जाए कि क्या वह आर्थिक रूप से क्या पूरे किए जाने लायक हैं।
खोखले वादों का होता है दूरगामी असर
हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार, आयोग ने कहा है कि वह चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी ना देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है। खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होते हैं। राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों की घोषणा संबंधी प्रस्तावित प्रारूप में तथ्यों को तुलना योग्य बनाने वाली जानकारी की प्रकृति में मानकीकरण लाने का प्रयास किया गया है।
तैयार किया गया है नया प्रारूप
प्रस्तावित प्रारूप में वादों के वित्तीय निहितार्थ और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की घोषणा करना अनिवार्य है। सुधार के प्रस्ताव के जरिये, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणापत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में बताना है। साथ ही यह भी बताना है कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं।