नयी दिल्ली: मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण ‘अचानक सूखा’ या तेजी से शुरू हो कर गंभीर रूप लेने वाले सूखे की संख्या अधिक हो गई है तथा एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि भविष्य में गर्मी के दौर में इस घटनाक्रम में तेजी आने का अनुमान है।
अनुसंधानकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि सूखे के घटनाक्रम में, अचानक सूखा पड़ना अब ‘नया सामान्य’ घटनाक्रम होता जा रहा है, जिससे इसका पूर्वानुमान लगाना और इसके प्रभाव से निपटने की तैयारी करना अधिक कठिन हो गया है।
अध्ययन करने वाली टीम में ब्रिटेन स्थित साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे। इसके परिणाम ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
कम वर्षा और उच्च वाष्पीकरण के कारण होने वाला आकस्मिक सूखे के चलते मिट्टी में पानी की कमी हो जाती है। यह कुछ ही हफ्तों में गंभीर सूखे में तब्दील हो सकता है।
इस तरह का सूखा जल्द शुरू होता है और यह महीनों तक जारी रह सकता है जिससे वनस्पति एवं पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है तथा लू और जंगल में आग की घटनाएं भी हो सकती हैं।
अनुसंधानकर्ता यह समझना चाहते थे कि क्या पारंपरिक ‘धीमे’ सूखे से आकस्मिक सूखे की स्थिति बनी है और यह भी कि विभिन्न कार्बन उत्सर्जन परिदृश्य के तहत प्रवृत्ति कैसे विकसित होगी।
उन्होंने पाया कि बदलाव पूर्वी और उत्तरी एशिया, यूरोप, सहारा और दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर सबसे ज्यादा था।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि पूर्वोत्तर अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ क्षेत्रों में कम आकस्मिक और धीमा सूखा देखा गया, लेकिन सूखे की शुरुआत की गति बढ़ गई।
साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में ‘‘हाइड्रोलॉजी एंड रिमोट सेंसिंग’’ के प्रोफेसर तथा अध्ययन के सह लेखक जस्टिन शेफील्ड ने कहा ‘‘सूखे की शुरुआत की गति बढ़ने का कारण जलवायु परिवर्तन है।’’
(इनपुट पीटीआई-भाषा)

