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कौन हैं जस्टिस सूर्या कांत..? जिन्हें CJI बीआर गवई ने अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की

जस्टिस सूर्या कांत मौजूदा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज हैं. 23 नवंबर को सीजेआई गवई के रिटायर होने के बाद जस्टिस सूर्या कांत देश के अगले यानी कि 53वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं.

Who is Justice Suryakant: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (B R Gavai) का कार्यकाल अगले महीनें 23 नवंबर को समाप्त हो रहा है. इसी बीच सीजेआई बीआर गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस सूर्या कांत को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है.

जस्टिस सूर्या कांत मौजूदा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज हैं. 23 नवंबर को सीजेआई गवई के रिटायर होने के बाद जस्टिस सूर्या कांत देश के अगले यानी कि 53वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं.

CJI बीआर गवई ने जस्टिस सूर्या कांत के नाम की सिफारिश की

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इसी साल 14 मई को पदभार ग्रहण किया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बीआर गवई ने जस्टिस सूर्या कांत को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है.

जस्टिस सूर्या कांत को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था. यदि वे भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होते हैं, तो उनका कार्यकाल एक साल दो महीने से अधिक का होगा. वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे.

कौन हैं जस्टिस सूर्या कांत ?

जस्टिस सूर्या कांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ है. वे 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने.

जस्टिस सूर्या कांत सुप्रीम कोर्ट में दो दशकों के अनुभव के साथ आ रहे हैं, जिनमें आर्टिकल 370 की समाप्ति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता से जुड़े मामले शामिल हैं.

वहीं जस्टिस सूर्या कांत उस बेंच की भी हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह (sedition) कानून को अस्थायी रूप से स्थगित रखा. अदालत ने निर्देश दिया कि सरकार की समीक्षा होने तक इस कानून के तहत कोई नई FIR दर्ज नहीं की जाएगी.

बीते दिनों जस्टिस सूर्या कांत ने चुनाव आयोग को बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख नामों का विवरण सार्वजनिक करने के लिए निर्देश दिया था.साथ ही जस्टिस सूर्या कांत ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत सभी बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया था.

जस्टिस सूर्या कांत उस सात-सदस्यीय बेंच का हिस्सा थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक स्थिति पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया.

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