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‘पांच साल से जेल में हैं..’ सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद और शरजील की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार

जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि दिल्ली पुलिस को याचिकाओं का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था और पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि इस मामले का निपटारा 27 अक्टूबर को किया जाएगा.

Delhi Riot 2020 Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी कि सोमवार, 27 अक्टूबर को साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मामले उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य की जनामत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य लोगों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं का जवाब नहीं दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि दिल्ली पुलिस को याचिकाओं का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था और पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि इस मामले का निपटारा 27 अक्टूबर को किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा अभियुक्तों द्वारा दायर अपीलों का जवाब देने के लिए दो और हफ़्ते का समय मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमने यह स्पष्ट कर दिया है. आप शायद पहली बार पेश हो रहे हैं. हमने पर्याप्त समय दिया है.

अगली सुनवाई इस दिन होगी

साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी. अदालत ने ये भी कहा कि आरोपी लगभग पांच साल से बिना किसी सुनवाई के जेल में हैं. पांच साल पहले ही बीत चुके हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को हेगी.

वहीं अभियुक्तों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अगली तारीख बढ़ाने के अपील का विरोध किया. सिंघवी ने कहा कि इस मामले में और देरी नहीं हो सकती.

बता दें कि उमर खालिद और अन्य लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. हाईकोर्ट ने बीते 2 सितंबर को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सोशल एक्टिविस्ट उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य लोग 2019-2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शनों में शामिल थे. इन लोगों पर फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में राजधानी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे “बड़ी साजिश” रचने के आरोप हैं. इनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत मामले दर्ज हैं.

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