What is Sanchar Saathi App: भारत सरकार के संचार मंत्रालय ने स्मार्टफोन बनाने बनाने वाली कंपनियों को अगले साल 2026 से बेचे जाने वाले नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप पहले से ही इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है. सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और निजता के हनन का हवाला देते हुए इसकी कड़ी अलोचना की है. तो आईए जानते हैं कि संचार साथी ऐप क्या है, सरकार ने इसे प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश क्यों दिया और विपक्ष ने इस पर क्या कहा.
संचार मंत्रालय ने अपने निर्देश में क्या कहा?
संचार मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि नागरिकों को नकली मोबाइल हैंडसेट खरीदने से बचाने, टेलीकॉम रिसोर्स के गलत इस्तेमाल की आसानी से रिपोर्ट करने और संचार साथी पहल को असरदार बनाने के लिए ये निर्देश जारी किया गया है.
मंत्रालय ने कहा कि टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी के नियमों के तहत भारत में इस्तेमाल के लिए बने मोबाइल हैंडसेट बनाने वालों और इंपोर्ट करने वालों के लिए यह जरूरी किया गया है.
स्मार्टफोन में पहले से इंस्टॉल होना चाहिए संचार साथी एप
संचार मंत्रालय ने स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि ये सुनिश्चित करें कि भारत में इस्तेमाल के लिए बनाए गए या इंपोर्ट किए गए सभी मोबाइल हैंडसेट पर संचार साथी मोबाइल एप्लीकेशन पहले से इंस्टॉल हो. साथ ही कहा कि ये सुनिश्चित करें कि पहले से इंस्टॉल संचार साथी एप्लीकेशन पहली बार इस्तेमाल करने या डिवाइस सेटअप करने के समय यूजर को आसानी से दिखे और एक्सेस किया जा सके और इसके फंक्शन डिसेबल या रिस्ट्रिक्टेड न हों.
सरकार ने सुरक्षा का दिया हवाला
संचार मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स साइबर फ्रॉड के लिए टेलीकॉम रिसोर्स के गलत इस्तेमाल को रोकने और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी पक्का करने के लिए संचार साथी की पहल कर रहा है. संचार मंत्रालय ने संचार साथी पोर्टल और ऐप बनाया है, जिससे लोग IMEI नंबर के जरिए मोबाइल हैंडसेट का असली होना चेक कर सकते हैं. साथ ही संदिग्ध फ्रॉड कम्युनिकेशन की रिपोर्ट करना, खोए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट करना, अपने नाम पर मोबाइल कनेक्शन चेक करना, बैंकों/फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की भरोसेमंद कॉन्टैक्ट डिटेल्स जैसी दूसरी सुविधाएं भी हैं.
क्या है संचार साथी मोबाइल एप्लीकेशन?
संचार साथी ऐप एक साइबर सुरक्षा उपकरण है, जिसे 17 जनवरी 2025 को मोबाइल ऐप के रूप में लॉन्च किया गया था. यह एंड्रॉयड और iOS दोनों पर उपलब्ध है. सरकार के मुताबिक, इस ऐप की मदद से अब तक 37 लाख से अधिक खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन ब्लॉक किए गए हैं, और 22 लाख 76 हजार से ज्यादा डिवाइस सफलतापूर्वक वापस खोजे गए हैं.
बता दें कि यह ऐप सरकार की टेलिकॉम सिक्योरिटी प्रणाली से सीधे जुड़ा हुआ है. सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) एक केंद्रीय डेटाबेस है, जिसमें देश के हर मोबाइल फोन का IMEI नंबर दर्ज रहता है.
विपक्ष ने बताया निजता का हनन, जानें क्या कहा?
संचार साथी ऐप पर कांग्रेस महासचिव और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि यह साफ तौर पर एक जासूसी ऐप है. इस देश के नागरिकों को निजता का अधिकार है. प्रियंका ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार हर तरह से इस देश को तानाशाही में बदल रही है. यहां तक कि संसद में भी वे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं.
वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने हुए कहा कि देश को हम कहां ले जा रहे हैं? आप सुरक्षा के नाम पर सिंगापुर की तरह काम क्यों नहीं करते? वहां तो एक भी व्यक्ति कहां आता-जाता है तो पता चल जाता है. लेकिन आप लोगों के मोबाइल में घुसकर उनकी निजता का हनन करेंगे.
केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि आप देश को नॉर्थ कोरिया बनाने चाहते हैं कि बाल भी आपके हिसाब से कटवाए, कपड़े भी आपके अनुसार पहने, क्या खाएं ये सब आप तय करेंगे.
समाजवादी पार्टी के नेता एस.टी. हसन ने संचार साथी ऐप पर कहा कि इस सरकार (मोदी सरकार) की प्रायोरिटी यह है कि लोगों की प्राइवेसी खत्म हो जाए, जबकि संविधान में प्राइवेसी की सुरक्षा की बात कही गई है. यह सरकार पहले पेगासस लाई थी, जिससे लोगों की प्राइवेसी खत्म हो चुकी है.
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने मोबाइल पर संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के निर्देशों पर कहा कि यह बहुत ही खतरनाक बात है और मुझे लगता है कि इसपर संसद की किसी कमेटी को अध्ययन करना चाहिए. यह बहुत चिंता की बात है और इस पर सबको बहुत गंभीरता से विचार करना चाहिए.
वहीं कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सरकार हर व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त करना चाहती है?

