माटी न्यास और यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट सेल के तत्वावधान में जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रथम माटी करियर मीट का आयोजन

नई दिल्ली: कठिन परिश्रम और एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है, नौकरियाँ कम नहीं हुईं बल्कि पात्रता मापदंड समय के अनुसार बदल गया है, ऐसे में आपको समय और मांग के अनुसार खुद को सक्षम बनाना है। उक्त विचार माटी और जामिया प्लेसमेंट सेल के तत्वावधान में आयोजित प्रथम माटी करियर मीट में बतौर मुख्य अतिथि भाग ले रहे, कृषि मंत्रालय भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव फ़ैज़ अहमद किदवई ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि यूपीएससी में मेहनत तो बहुत है लेकिन जो कार्य और सेवा का अनुभव, पहचान और पद का सम्मान यहाँ है, वह किसी और नौकरी में नहीं मिलता, इसलिए हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि के तौर पर रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक श्री विवेक कुमार यादव और पिरामल फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ. मनीष मिश्रा शामिल हुए। अतिथियों का परिचय माटी सदस्य और जामिया इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अब्दुल कय्यूम अंसारी ने कराया, जबकि स्वागत माटी के संयोजक आसिफ आज़मी ने किया। जामिया प्लेसमेंट सेल की डायरेक्टर प्रोफ़ेसर राहिला फ़ारूक़ी ने धन्यवाद ज्ञापन किया तो प्रखर मालवीय कान्हा ने संचालन की ज़िम्मेदारी निभाई।

माटी न्यास और यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट सेल के तत्वावधान में जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रथम माटी करियर मीट का आयोजन
माटी न्यास और यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट सेल के तत्वावधान में जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रथम माटी करियर मीट का आयोजन

विशेष अतिथि के तौर पर पिरामल फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ मनीष मिश्रा ने कहा कि आज के डिग्री के साथ साथ छात्रों को कौशल आधारित कोर्स करने चाहिए ताकि उन्हें विश्वस्तरीय नौकरी मिल सके। उन्होंने सोशल वर्क के छात्रों को विशेष रूप से प्रेरित करते हुए इस क्षेत्र में अपना करियर तलाशने का सुझाव दिया।

उन्होंने उद्यमशीलता (entrepreneurship) के महत्व को समझाने के साथ ही प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना से लाभ उठाने के लिए भी छात्रों को प्रेरित किया।

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक विवेक के. यादव ने अपने संवाद में परीक्षाओं और प्रतियोगिताओं, विशेषकर इंजीनियरिंग सेवाओं की तैयारी पर अपनी बात रखी और छात्रों को इसमें अधिक से अधिक हिस्सा लेने को कहा।

इस अवसर पर विशेषज्ञों द्वारा छात्रों-छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए। कार्यक्रम में जामिया, जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय से लगभग 150 छात्र-छात्राएं मौजूद थीं।

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