न्यूयॉर्क में स्थित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन में रूस के द्वारा किए गए आक्रमण को रोकने और सेना को वापस बुलाने वाले प्रस्ताव पर मतदान के लिए आपातकालीन बैठक हुई. बैठक में रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया जबकि भारत, चीन और यूएई ने वोटिंग से दूरी बनाई. यूएनएससी में भारत, चीन और यूएई ने यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करते हुए सुरक्षा परिषद की वोटिंग से परहेज किया. रूस ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया, जबकि भारत, चीन और यूएई ने मतदान से परहेज किया. भारत की ओर से कहा गया कि इस बात से खेद है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है और हमें उस पर लौटना होगा.
यूएनएससी की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ‘यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं.’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन पर हमले के खिलाफ लाये गए प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. इसमें 15 में से 11 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया, जबकि रूस ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया. वहीं, भारत, चीन और यूएई ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए इससे परहेज किया.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी ) में शुक्रवार को यूक्रेन पर रूसी हमले को तुरंत रोकने और सेना को वापस बुलाने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. वोटिंग के दौरान 15 में से 11 सदस्यों ने वोट डाली. रूस ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए वीटो पावर का इस्तेमाल किया. सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में रूस भी शामिल है. इस बीच, भारत, चीन और UAE ने हमले की निंदा करते वोटिंग नहीं की.
पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में शुक्रवार दोपहर अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ. इसे ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, जॉर्जिया, जर्मनी, इटली, सहित संयुक्त राष्ट्र के 67 सदस्य देशों के एक क्रॉस रीजनल समूह ने सह प्रस्तावित किया था. भारत,चीन और संयुक्त अरब अमीरात मतदान से दूर रहे. वहीं अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गाबोन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नार्वे, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कुल मिलाकर 11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है. हम अपील करते हैं कि सारे प्रयास हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की दिशा में होने चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन में भारतीय छात्रों सहित भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर ‘बेहद चंतित है. तिरुमूर्ति ने कहा कि कोई भी हल लोगों की जिंदगियों की कीमत पर नहीं निकल सकता. स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता त्याग दिया गया. हमें उस पर लौटना चाहिए और इन्ही कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाने का निर्णय किया है. तिरुमूर्ति ने कहा कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बनी है. उन्होंने कहा, सभी सदस्य देशों को रचनात्मक रास्ता तलाशने के लिए इन सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए. यह तो पहले से ही तय माना जा रहा था कि रूस इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए वीटो पावर का इस्तेमाल करेगा और ऐसा ही हुआ. वहीं, यूरोपीय देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही. पश्चिमी देशों ने रूस को वैश्विक मंच पर अलग थलग करने का यह एक प्रयास बताया.
वीटो क्या होता है ?
वीटो(Veto), एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘मैं निषेध करता हूं’, किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून को रोक लेने का यह एक अधिकार है. मूल रूप से वीटो (Veto) शब्द का अर्थ है कि किसी प्रस्ताव, फैसले या किसी गतिविधि को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शक्ति.
किन देशों के पास है वीटो (Veto)पावर
वैश्विक मंच पर वीटो पावर को बहुत ही अहम माना गया है. वर्तमान समय में UNSC के पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर है. इन देशों के नाम हैं- रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन.
UNSC की बैठक में क्या बोले भारत के टी.एस. तिरुमूर्ति
यूक्रेन पर UNSC की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, ‘इस बात से खेद है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है. हमें उस पर लौटना होगा. इन सभी कारणों से, भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज़ करने का विकल्प चुना है. सभी सदस्य देशों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए सिद्धांतों का सम्मान करने की आवश्यकता है. मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र उत्तर है, हालांकि इस समय ये कठिन लग सकता है.
यूक्रेन में हाल ही में हुए घटनाक्रम से भारत बेहद परेशान है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त के सभी प्रयास किए जाएं. नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला गया है. इस बात से खेद है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है हमें उस पर लौटना होगा. इन सभी कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज़ करने का विकल्प चुना है.
रूस के द्वारा किया गया हमला ढीठ और बेशर्मी भरा है: अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘हमारे बुनियादी सिद्धांतों पर रूस के द्वारा किया गया हमला ढीठ और बेशर्मी भरा है, यह हमारी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए ख़तरा है.’
(ईटीवी भारत से इनपुट के साथ)