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दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया के निलंबित छात्रों का निलंबन रोका, कमेटी बनाने का दिया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि जामिया मिलिया इस्लामिया में हाल ही में स्टूडेंट के विरोध प्रदर्शन के बीच स्थिति को शांत करने के लिए समिति गठित की जाए.

Jamia Millia Islamia: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार, 4 मार्च को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के निलंबित छात्रों के निलंबन पर रोक लगा दी. इन छात्रों पर यूनिवर्सिटी से बिना इजाजत लिए प्रदर्शन करने का आरोप है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 17 स्टूडेंट को पूर्व अनुमति के बिना विरोध और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए निलंबित किया गया है. स्टूडेंट बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन और बैठकों पर प्रतिबंध लगाने के जामिया के आदेश का विरोध कर रहे हैं.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि जामिया मिलिया इस्लामिया में हाल ही में स्टूडेंट के विरोध प्रदर्शन के बीच स्थिति को शांत करने के लिए समिति गठित की जाए. कोर्ट ने कहा कि समिति का गठन यूनिवर्सिटी के कुलपति की देखरेख में किया जाएगा और इसमें स्टूडेंट के प्रतिनिधियों सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगे.

‘यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन बजाय दिल्ली पुलिस का पक्ष लिया’

निलंबित छात्रों को प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस और एडवोकेट अभिक चिमनी ने किया. एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट से कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के लिए बहुत ही असंगत कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का रिकॉर्ड साफ है और वे अपने विरोध प्रदर्शन के लिए कैंटीन के बाहर एकत्र हुए थे. उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करने के बजाय दिल्ली पुलिस का पक्ष लिया और उन्हें गिरफ्तार करवा दिया.

‘स्टूडेंट बिना अनुमति के कैंटीन के बाहर सो रहे थे’

वहीं जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए एडवोकेट अमित साहनी ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट को पर्याप्त अवसर दिया था विरोध प्रदर्शन का कहीं से भी शैक्षणिक कार्य से संबंध नहीं था और यूनिवर्सिटी से कोई अनुमति नहीं ली गई. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट बिना अनुमति के कैंटीन के बाहर सो रहे थे और इसलिए उन्हें वहां से हटा दिया गया.

हाईकोर्ट ने क्या- क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा, “सभी स्टूडेंट कम उम्र के हैं और यूनिवर्सिटी जाने वाले स्टूडेंट निश्चित रूप से कानून के दायरे में अपनी आवाज उठाने का प्रयास करते हैं.” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेना नागरिक समाज के मूल सिद्धांतों और मानदंडों का हिस्सा है.

हाईकोर्ट ने आगे कहा,”कोर्ट को पूरा विश्वास है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन- कुलपति, डीन और चीफ प्रॉक्टर, स्थिति को शांत करने के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाएंगे.”

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि पिछले महीने 9 फरवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुछ छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर कैंपस के अंदर विरोध प्रदर्शन किया था. जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों में से 14 छात्रों को हिरासत में लिया था. इन्हीं में से कुछ छात्रों को निलंबित भी किया गया है.
वहीं इसके अलावा विरोध तब और ज्यादा बढ़ गया जब प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्र- छात्राओं के नाम, तस्वीर, एड्रेस, फोन नंबर और ईमेल आइडी सभी सार्वजनिक कर दिए.

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