Rahim Al Hussaini Became 50th Imam: प्रिंस आगा खान चतुर्थ की मौत के बाद इनके बेटे रहीम अल-हुसैनी को बुधवार, 5 फरवरी को 50वें इमाम के रुप में नामित किया गया. बता दें कि प्रिंस आगा खान चतुर्थ (प्रिंस करीम अल-हुसैनी) का 88 साल की उम्र में मंगलवार को पुर्तगाल में इंतेकाल हो गया था. वे इस्माइली मुसलमान समुदाय के 49वें इमाम थे.
वसीयत के मुताबिक प्रिंस आगा खान की मौत के बाद उनके बेटे रहीम अल-हुसैनी को इस्माइली मुसलमानों के 50वें इमाम के तौर पर नामित किया गया.
कौन थे आगा खान चतुर्थ?
आपको बता दें कि आगा खान चतुर्थ को उनके शिया इस्माइली मुसलमान फोलोवर्स पैगंबर मुहम्मद साहब का प्रत्यक्ष वंशज मानते हैं. और उन्हें राज्य के प्रमुख के रूप में मान्यता देते हैं. दिवंगत आगा खान को जुलाई 1957 में महारानी एलिजाबेथ द्वारा ‘महामहिम’ की पदवी दी गई थी. वहीं इसके दो सप्ताह बाद उनके दादा आगा खान तृतीय ने अचानक उन्हें इस्माइली मुस्लिम समुदाय के नेता के रूप में परिवार के 1,300 साल पुराने राजवंश का वारिस बनाया था.
कौन हैं नए आगा खान?
प्रिंस करीम अल-हुसैनी (आगा खान चतुर्थ) के तीन बेटे और एक बेटी हैं. आगा खान की कमान संभालने वाले प्रिंस रहीम उन के सबसे बड़े बेटे हैं. वो 53 साल के हैं. प्रिंस शाह करीम ने महज 21 साल की उम्र में कमान संभाली थी. जबकि प्रिंस रहीम 53 साल की उम्र में समुदाय के 50वें इमाम बनें.
क्या है आगा खान फाउंडेशन?
इस्माइली समुदाय के 49वें इमाम के रूप में प्रिंस आगा खान ने धार्मिक और भौगोलिक सीमाओं से परे समाज के विकास के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया. एक बेहतर दुनिया के लिए उनका नजरिया आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क (AKDN) में पूरा साफ था. जहां उन्होंने AKDN को विशेष समर्पण के साथ स्थापित किया और उसका नेतृत्व किया.
आगा खान चतुर्थ ने आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण में कई संस्थानों की स्थापना की, जिससे एशिया, अफ्रीका और अलग- अलग जगहों के लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा. इन्होंने उनकी आस्था या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, वंचितों के लिए रहने की स्थिति में सुधार किया.